पब्लिक स्पीकिंग | स्टेज पर बोलने में महारथ कैसे हासिल करें
क्या आप भी मोटिवेशन स्पीकर की तरह निडर अंदाज में बोलना चाहते है, लेकिन आत्मविश्वास की कमी से साहस नही बन पाता है। आपको पब्लिक स्पीकिंग के लिए आत्मविश्वास चाहिए।
आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए ज्ञान पर विशेषज्ञता के साथ-साथ अभिव्यक्त करने आना चाहिए, पर क्या सिर्फ ज्ञान में विशेषज्ञता ही काफी होगा पब्लिक स्पीकिंग में महारत हासिल करने के लिए…!
आपने कभी ना कभी संदीप महेश्वरी सर का विडियो जरुर देखा होगा। और ना सिर्फ संदीप महेश्वरी , बल्कि विवेक बिंद्रा, सोनू शर्मा, जैसे कईयों के देखे होंगे।
इन वक्ताओं के बेबाक और निडर अंदाज में बोलने के तरीके ने पूरी दुनिया को कायल कर रखा है, जिस वजह से इनके चाहनेवाले की कोई कमी नही है। लेकिन क्या आप मानते है कि ये लोग पहले दिन से ही इतने माहिर रहे होंगे।
बिलकुल भी नही। ये लोगों भी जब पहली बार बोलने की कोशिश में लड़खड़ाये होंगे। इसलिए मैं आपको सलाह दूंगा की, संदीप महेश्वरी सर के सबसे पहला ओपन सेमीनार के विडियो को आपको बिलकुल देखना चाहिए।
लेकिन ज्यादा घबराएँ नही, क्योंकि इस आर्टिकल में आपको कई उपयोगी बातें सीखने मिलेंगे, जो आपको भी इनकी तरह भीड़ में खड़े होकर आत्मविश्वास के साथ बोलने का हिम्मत देगा।
पब्लिक स्पीकिंग से आप क्या समझते हैं?
अक्सर आपने कई प्रकार के सार्वजनिक सभाओं में भाग लिया हो, देखा हो या फिर उनका लाइव स्ट्रीमिंग देखा होगा। जिसमें पायेंगे कि, प्रत्येक सभा में भाषण का स्वरुप विभिन्न प्रकार से होते है।
जैसे कि कॉमेडियन सभा में हास्यास्पद बातें, ज्ञानवर्धक मंचों में तथ्यात्मक विचार रखना या फिर वाद-विवाद सभाओं में आलोचनात्मक विचार रखा जाता हैं।
आप चाहे व्यापार, राजनीति, शिक्षा या मनोरंजन जैसे कई क्षेत्र में हों, इस कौशल को सीखना बहुत आवश्यक है। क्योंकि दैनिक जीवन के लिए यह महत्वपूर्ण कौशल है। इससे व्यक्तियों को अपने विचारों को आत्मविश्वास और प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करने में मदद करता है।
जब आप किसी सभा को संबोधित करते हो, तो आपका उद्देश्य ना सिर्फ दर्शकों को जानकारी पहुँचाना होता है, बल्कि उनके उत्साह और जिज्ञासा को तार्किक तरीके से आश्वस्त करना भी है।
ऐसे मौकों का प्रयोजन खुद को व्यक्त करने, अपनी विशेषज्ञता साझा करने और भावनात्मक स्तर पर दूसरों के साथ जुड़ने का अवसर है। पब्लिक स्पीकिंग सीखने की कोई सीमा निर्धारित नही है। आप जितने लोगों से व्यवहारात्मक बातचीत करते जायेंगे, उतने ही अधिक निपुण बनेंगे।
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पब्लिक स्पीकिंग के क्या फायदे हैं?
मान लीजिए, अगर आप सोचते हो कि, मुझे काम करके पर्याप्त आमदनी हो जाता है, तो मेरे लिए पब्लिक स्पीकिंग सीखना जरुरी नही है। लेकिन मैं इसके कई फायदे बताऊंगा, जो आपको पब्लिक स्पीकिंग सीखने में रूचि पैदा करेगा।
आत्मविश्वास बढ़ने में मदद
जब आप भाषण देंगे, तब आपको अपने विचारों को व्यवस्थित, तार्किक और सुसंगत तरीके से प्रस्तुत करने में सक्षम होने की आवश्यकता होती है।
आप चार लोगों के सामने खड़े होकर बोलने की रोज-रोज प्रैक्टिस करते रहोगे तो एक समय बाद आप स्वयं को अभिव्यक्त करने में सहज महसूस करेंगे। इस प्रकार समय के साथ आपका आत्मविश्वास भी बढ़ता रहेगा।
बेहतर संचार कौशल
आपकी द्वारा कही गयी बातें, जब लोग सुनना ज्यादा पसंद करने लगेंगे, तो ज्यादा लोगों से जुड़ते रहना पसंद करेंगे। इसी प्रकार के अभ्यास से, आप विचारों को संक्षिप्त और स्पष्ट तरीके से व्यक्त करने में बेहतर होते जायेंगे।
यह कौशल आपके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन में बहुत मदद करेगा, चाहे आप सहकर्मियों, दोस्तों या परिवार के साथ संवाद कर रहे हों।
नेतृत्व कौशल
जितने भी लोग पब्लिक स्पीकिंग में बहुत अच्छे होते हैं, उनका नेतृत्व कुशलता उतना ही अधिक प्रभावशाली होता है। आपने कई मोटिवेशन स्पीकर्स, कप्तानों के बातों को सुना होगा। उनका हर काम सिर्फ ईशारे भर से ही होते है।
नेतृत्व कौशल दर्शकों को प्रेरित करने की क्षमता रखता है। जितना ज्यादा अपने सार्वजनिक बोलने के कौशल को विकसित करेंगे, उतना ज्यादा दूसरों पर अपना प्रभाव करा पाएंगे।
बेहतर चिंतन में मददगार
पब्लिक स्पीकिंग से हिचकिचाहट और अपने दब्बूपन को दूर करना है तो लोगों से बातचीत का दायरा को बढ़ाना चाहिए। बातचीत से नये ज्ञान के अनुभवों का दायरा बढ़ेगा।
और जब ज्ञान का दायरा बढ़ता है तो, चिंता के बजाय चिंतन में बहुत मददगार साबित होता है। जैसा-जैसे अपने डर पर काबू पाएंगे और बोलने के कौशल में सुधार होगा, आपमें उपलब्धि और आत्म-संतुष्टि की भावना विकसित होगा, जो जीवन के अन्य क्षेत्रों में काम आयेंगे।
नेटवर्क बनाने में आसान
जब आपके विचारों से दूसरों के भरोसा जीतने लगेंगे तो लोग आपकी राय लेने जरुर आयेंगे। लोग आपको सलाहकार के तौर पर मानने लगेंगे। ऐसे में आपने जिन लोगों को मार्गदर्शन किये होंगे, वे लोग ही आपके बारे में अन्य लोगों के लिए अनुशंसा करने लगेंगे। इस तरह से आपका जानने वाले लोगों की संख्या अपने-आप बढ़ने लगेंगे।
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पब्लिक स्पीकिंग कौशल को कैसे सुधारें ?
वैसे पब्लिक स्पीकिंग को सुधारना बहुत ही आसान कार्य है। मैं आपको कुछ बेहतरीन सलाह दूंगा, जो आपके पब्लिक स्पीकिंग को सुधारने में बहुत मदद करेगा।
नॉलेज अर्जित कीजिए
जब आपके पास ज्ञान भण्डार नही होगा तबतक किसी के सामने चंद लाइनें भी कह नही सकोगे। इसलिए आपका सबसे पहला काम होगा कि आप पहले अपने फील्ड में नॉलेज हासिल कीजिये।
उसमें भी ज्ञान को रटना नही बल्कि बल्कि समझकर ग्रहण करने की कोशिश करें क्योंकि रटा हुआ ज्ञान ओपन सभा में लाइन-बाई-लाइन बोल ही नही सकते हैं। आप कुछ ना कुछ पंक्ति जरुर भूल जाओगे।
इसलिए स्मरण करने से कंही ज्यादा तथ्यों को समझना आवश्यक है।
कंटेंट को समझें
अपने विषय को अच्छे से जानना स्पीकिंग कौशल में सुधार का पहला कदम है। अपने विषय के बारे में शोध करके जानकारी इकट्ठा करें, और भाषण देने का अभ्यास तब तक करें जब तक सामग्री के साथ सहज और आश्वस्त न हों।
अपने विषय की गहरी समझ होने पर ही दर्शकों को अधिक प्रभावी ढंग से जोड़ सकते हैं।
दर्शक को समझें
एक प्रभावी सार्वजनिक वक्ता बनने के लिए, आपको अपने दर्शकों से जुड़ना होगा। उनकी जरूरतों और चिंताओं को संबोधित करें, और अपने संदेश को अधिक भरोसेमंद बनाने के लिए कहानियों और उपाख्यानों का उपयोग करें।
अपने दर्शकों के साथ जुड़ने और अपनी प्रस्तुति को अधिक यादगार बनाने के लिए हास्य आख्यानों का उपयोग करें।
खुद की विडियो बनायें
आपके पास स्मार्टफोन जरुर होगा। अपना विडियो-कैमरा से खुद के भाषण को रिकॉर्ड करिए और अपने, चालचलन, भावभंगिमा का आंकलन करके सुधारिए। इससे आपको बेहतर रिजल्ट मिलेगा, और आपके आत्मविश्वास में काफी बदलाव आएगा।
सेल्फी और स्टाइल्स पोज़ में फोटो खीचकर अपना हावभाव को सुधारिए। इस तरह अपनी मुद्रा, इशारों और चेहरे के भावों का संदेश के अनुरूप दर्शकों को जोड़े रखने के लहजे में बदलाव करें।
किताबों-अखबारों को आवाज देकर पढ़ने का आदत बनाइयें
बहुत लोगों को मन-ही-मन किताब पढ़ने की बहुत आदत होता है। ऐसी परिस्थियों में हमारा ध्यान किताब से कंही ज्यादा बाहरी दुनिया में रहता है। अगर आप वाकई चाहते हो कि, एक सफल वक्ता बनना है, तो किताब और अखबारों को आवाज देकर पढ़ना शुरू कीजिए। इस प्रैक्टिस से आपके बोलने के लिहाज में सकारात्मक बदलाव आयेंगे।
नयें लोगों से मिलना जुलना बढाएं
आपको अपने दब्बूपन को छोड़कर थोड़ी बाचाल बनने की आदत को अपनाना होगा। इसके बगैर अपने हिचकिचाहट और लोगों से मिलजुलने वाली असहजता ख़त्म नही होगा। आप लोगों का स्वागत मुस्कुराकर अभिवादन से करियेगा तो नयें लोग भी आपसे हंसीखुशी मिलना पसंद करेंगे।
पब्लिक स्पीकिंग के दौरान होने वाले संभावित डर
यह कोई नयी बात नही है, की जब भी कोई नया इंसान पहली बार पब्लिक स्पीच देता है तो चिंतित होना निश्चित है। ऐसा सबसे साथ होता है। परंतु यह कोई बड़ी असामान्य बात नही है। जब आप पहलीबार सभाओं में बोलने जाओगे तो निम्न संभावित चुनौतियां का सामना करना पड़ेगा।
आलोचनाओं का डर:- पहली बार जब आप मंच पर प्रस्तुत करने समय मन में विचार आयेंगे कि, क्या मेरे भाषण को दर्शकों द्वारा स्वीकारेंगे या नही। ऐसा उनके साथ ज्यादा होता है, जिन लोगों को सुर्ख़ियों में रहने की आदत नही होती हैं।
भाषण भूलने का डर :- कभी-कभी ऐसा एहसास किया होगा कि, अगर मैं बीच में ही कंही भाषण की पंक्ति भूल जाऊं तो दर्शकों के सामने शर्मिंदगी झेलना पड़ेगा। यह चिंता तबतक हमारे मन में घूमते रहता है, जब तक कि स्टेज से हमारा भाषण ख़त्म नही होता है।
दर्शकों से ना जुड़ पाने का डर :- कई लोगों में यह चिंता होता है की, वे जब भाषण देंगे तब उन्हें शंका रहता है कि दर्शकों इनके भाषण में दिलचस्पी लेंगे या नही। क्योंकि भाषण के दौरान सभी दर्शकों की निगाहें वक्ता पर टिकी रहता है। जिस कारण असहजता महसूस होता है।
अप्रत्याशित स्थितियों का डर :- एक डर यह भी होता है, कि कंही बीच भाषण के दौरान हमें कोई रोकटोक ना कर दे। वर्ना हड़बड़ी में भाषण के लय को भूल जातें हैं, और फिर से उसी स्थान से भाषण को स्टार्ट करना मुश्किल हो जाता है। और एक डर यह भी बनता है कि,बीच भाषण में कोई उठ खड़ा होकर हमें कोई प्रश्न ना पूछें।
कुल मिलाकर देखा जायें, तो हमें कई प्रकार के सामान्य भय का सामना करना पड़ता है, जो कभी कभीकभार चुनौतीपूर्ण होता है। परंतु आपको अगर एक सफल वक्ता बनना है तो इन चुनौतियों से उठकर आगे बढ़ना होगा।
पब्लिक स्पीकिंग देते समय होने वाली सामान्य गलतियाँ
एक अनुभवी वक्ता भी भाषण सभाओं में कई बार गलतियाँ कर बैठते है, लेकिन वे परिस्थितियों को संभालने में माहिर होते है। अधिक गलतियाँ तो नए लोगों से होता है।
इसलिए हमें उनकी गलतियां को पकड़ नही पाते हैं। मैं उन बातों को आपके सामने रखूँगा जो सामान्य गलतियाँ होने से पहले आपको सचेत हो जाना चाहिए।
तैयारी का अभाव
भाषण की तैयारी में कमी के परिणामस्वरूप एक असंगठित, अव्यवस्थित भाषण जो दर्शकों को प्रभावी ढंग से संप्रेषित करने में विफल होगा। इन गलती से हर किसी को बचने के लिए जरूरी है कि समय निकालकर स्पीच को पूरी तरह से तैयार करें। अपने विषय पर शोध करके विचारों को व्यवस्थित करने का अभ्यास करना चाहिए।
नोटों पर अत्यधिक निर्भरता
आपने देखा होगा कि कई लोग अपने भाषण को नोट्स के रूप में हमेशा साथ रखते है, यह अच्छा आदत है। लेकिन जब भाषण देने के लिए श्रोताओं के सम्मुख हो तो नोट्स को बार-बार देखने से दर्शकों के साथ लय टूटता है।
ऐसी गलतियों से बचने के लिए, वक्ताओं को जितना संभव हो सके अपने भाषण को याद रखने का लक्ष्य रखना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर संदर्भ के रूप में केवल नोट्स का उपयोग करना चाहिए।
दर्शकों के साथ जुड़ाव का अभाव
ऐसा भी परिस्थिति आपने देखा होगा की, वक्ता का भाषण तो काफी अच्छा होता है, लेकिन श्रोताओं से जुड़ने में असफल होना से उनका भाषण नीरस प्रतीत होता है। इसमें नीरस आवाज में बोलना, आंखों से संपर्क बनाने में असफल होना, या शारीरिक हावभाव का प्रभावी ढंग से उपयोग न करना होता है।
दर्शकों के अनुकूल न हो पाना
हर दर्शक अलग होता है, और दर्शकों के अनुकूल होने में असफल होना एक बड़ी गलती हो सकती है। इस गलती से बचने के लिए, वक्ताओं को अपने श्रोताओं के बारे में पहले से शोध करना चाहिए और अपने भाषण को उनकी आवश्यकताओं और अपेक्षाओं के अनुरूप ढालना चाहिए।
खराब समय प्रबंधन
एक और आम गलती जो लोग करते हैं वह है खराब समय प्रबंधन। तय समय से अधिक लंबा भाषण, या बहुत जल्दी भाषण खत्म करने से दर्शकों को असंतुष्ट या असंबद्ध महसूस हो सकता है। ऐसी गलती से बचने के लिए, वक्ताओं को अपने भाषण का समयसीमा में रहकर अभ्यास करना चाहिए।
उत्साह में कमी
यदि वक्ता विषय में ऊबा हुआ या उदासीन दिखाई देता है, तो दर्शकों को भी ऐसा ही महसूस होने की संभावना है। इस गलती से बचने के लिए, वक्ताओं को अपने विषय के प्रति उत्साह दिखाना चाहिए, और अपनी उत्तेजना व्यक्त करने के लिए मुखर विविधता और हाव-भाव का उपयोग करना चाहिए।
स्पष्ट संदेश देने में विफल
भाषण स्पष्ट और संक्षिप्त संदेश में होना चाहिए जिसे दर्शक समझ सकें। वर्ना दर्शकों भ्रमित होंगे और समझ नही पाएंगे कि वक्ता क्या संदेश देने की कोशिश कर रहा है। ऐसी गलतियों से बचने के लिए, वक्ताओं को एक केंद्रीय संदेश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
आत्मविश्वास की कमी
सार्वजनिक भाषण देते समय आत्मविश्वास की कमी एक बड़ी गलती हो सकता है। यदि वक्ता घबराया हुआ या स्वयं के बारे में अनिश्चित दिखाई पड़ रहा, तो दर्शकों का वक्ता और उनके संदेश में विश्वास कम होने की संभावना है। इस गलती से बचने के लिए, वक्ताओं को पहले से ही अपने भाषण का अभ्यास करना चाहिए।
भाषण के दौरान असामान्य परिस्थितियों में कैसे निपटें ?
जब भी ऐसी परिस्थितियां घटित होती है, जाहिर सी बात है कि आप हर चीज़ की भविष्यवाणी नही कर सकते हैं। आपको हर अनहोनी से सामना करना होगा। अप्रत्याशित परिस्थितियों से निपटना होगा।
इन परिस्थितियों को संभालने का एक ही तरीका है, धैर्यता से परिस्थिति को स्वीकारना है, हल्का-फुल्का हास्य का विवेकपूर्ण उपयोग करना होगा।अगर कोई प्रश्न पूछे तो उनके जवाब देने के लिए समय मांगे और नही पता हो तो नम्रता से अपनी अक्षमता प्रकट करें।
निष्कर्ष
अंत में यही कहूँगा कि, इन सुझावों और रणनीतियों से आप अपनी पब्लिक स्पीकिंग को बेहतर बना सकते है, जिससे आपका भीड़ में हिचकिचाहट दूर होगा और आत्मविश्वास से प्रत्येक सभा को आसानी से संबोधित भी कर पायेंगे।
उम्मीद है कि आपको पब्लिक स्पीकिंग पर लेख बहुत पसंद आया होगा। अपनी प्रतिक्रिया कमेंट बॉक्स में लिखना ना भूले।
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