छतरपुर के ऐतिहासिक कुएं की खासियत: गर्मियों में यहां बिना रस्सी और बाल्टी के मिलता है पानी


छतरपुर: छौनोप गांव में एक अद्भुत और ऐतिहासिक कुआं लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। इसी गांव का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में किया था. इस कुएं की सबसे अच्छी खासियत यह है कि यहां पानी पीने के लिए आपको रस्सी या बाल्टी की जरूरत नहीं पड़ेगी। यदि आपके पास ये उपकरण नहीं हैं, तो आप सीढ़ियों से नीचे जाकर अपनी प्यास बुझा सकते हैं। यह अनोखा कुआँ चार पीढ़ी पुराना है और अब गर्मियों में पानी का एक स्रोत है।

कुएन का ऐतिहासिक महत्व:
इस कुएँ का निर्माण गाँव के एक ब्राह्मण परिवार ने करवाया था जिनके कोई संतान नहीं थी। उन्होंने न सिर्फ यह तालाब बनवाया बल्कि इसके साथ एक मंदिर भी बनवाया। गांव की एक बुजुर्ग महिला जानकी रजाक, जो अब 60 वर्ष की हैं, ने कहा कि उन्होंने बचपन में इन कुत्तों को देखा था। यह कुआँ पहले गाँव के लोगों के लिए पानी का मुख्य स्रोत था और यहीं से बच्चे, बूढ़े और महिलाएँ पानी भरने आते थे। अब हर घर में पानी की सुविधा है लेकिन ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के तौर पर इस कुएं की मरम्मत करायी जा रही है.

लोगों के लिए विशेष आकर्षण:
इस कुएं की सबसे अनोखी विशेषता इसकी सीढ़ी की व्यवस्था है, जो लोगों को बिना रस्सियों या बाल्टियों के पानी तक पहुंचने की अनुमति देती है। गर्मी के मौसम में जल स्तर गिरने पर भी लोग इन कुओं की मदद से आसानी से पानी ला सकते हैं। ग्रामीण इस कुएं को अपनी संपत्ति मानते हैं और इसकी विशेष देखभाल करते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि पहले इस कुएं से पानी मंदिर के प्रसाद के लिए लिया जाता था और स्कूली बच्चे भी यहीं से पानी पीते थे.

जो लोग दूर से नहीं आते:
अब हर घर में पानी की उपलब्धता के कारण कुओं का उपयोग कम हो गया है, लेकिन यह लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। दूर-दूर से लोगों के कुँए को साझा किया गया है और अधिक साकी गुफ्तार की खातिरदारी की जाती है। यह कुआँ गाँव की पहचान बन गया है और गाँव की परंपरा को संरक्षित करने का प्रतीक बन गया है।

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Source :news18.com

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